यदि आप एक भारतीय शहर में निवासरत हैं, तो अपने चारों ओर देखिए।देखिए इन प्रदूषण करने वाले, तेल पीते दो पहिया वाहनों, कारों एवं एसयूवीज़ को और सुनिए इन वाहनों के भयानक ध्वनि प्रदूषण को।
लोग इन तेल पीती बड़ी एसयूवीज़ में अधिकांश समय अकेले ही इनकी सवारी करते हैं।
एक डीज़ल एसयूवी की ज़रूरत क्या है ? जब आप ९५% समय अकेले ही या एक अन्य व्यक्ति के साथ उसमें सवारी करते है।
ये २०१९ है, और क्यों हम अपने शहरों में और अधिक इलेक्ट्रिक वाहन नहीं देखते जो हमारे शहरों की हवा को साफ़ रखने में हमारी मदद कर सकते हैं?
इसके कई कारण हैं -जागरूकता की कमी, बाज़ार में विकल्पों की कमी, बैटरी की चिंता, चार्जिंग अधोसंरचना की कमी इत्यादि।
लेकिन एक अन्य बड़ा कारण है जिसकी चर्चा अक्सर नहीं होती है और वो हैं कार्पोरेट, विशेषकर आंतरिक दहन इंजन वाहनों के निर्माताओं ने हमारे नवजात भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकाश को अवरुद्ध किया है।