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भारत के इलेक्ट्रिक वाहन की महत्वाकांक्षाएँ हमारी सरकार द्वारा नहीं, कार्पोरेट्स द्वारा बाधित ह

22/4/2019

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By Prof Nagendra Singh Tiwari​
द्वारा कमलेश मल्लिक एवं आशीष गुप्ता
यदि आप एक भारतीय शहर में निवासरत हैं, तो अपने चारों ओर देखिए।देखिए इन प्रदूषण करने वाले, तेल पीते दो पहिया वाहनों, कारों एवं एसयूवीज़ को और सुनिए इन वाहनों के भयानक ध्वनि प्रदूषण को।
लोग इन तेल पीती बड़ी एसयूवीज़ में अधिकांश समय अकेले ही इनकी सवारी करते हैं।
एक डीज़ल एसयूवी की ज़रूरत क्या है ? जब आप ९५% समय अकेले ही या एक अन्य व्यक्ति के साथ उसमें सवारी करते है।
ये २०१९ है, और  क्यों हम अपने शहरों में और अधिक इलेक्ट्रिक वाहन नहीं देखते जो हमारे शहरों की हवा को साफ़ रखने में हमारी मदद कर सकते हैं?
इसके कई कारण हैं -जागरूकता की कमी, बाज़ार में विकल्पों की कमी, बैटरी की चिंता, चार्जिंग अधोसंरचना की कमी इत्यादि।
लेकिन एक अन्य बड़ा कारण है जिसकी चर्चा अक्सर नहीं होती है और वो हैं कार्पोरेट, विशेषकर आंतरिक दहन इंजन वाहनों के निर्माताओं ने हमारे  नवजात भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकाश को अवरुद्ध किया है। 

प्लग इन इंडिया चिंतन के इस एपिसोड में, चलिए हम बात करते है, कमरे के वास्तविक हाथी अर्थात भारतीय कार्पोरेट्स एवं परिवर्तन की उनकी अनिच्छा की।
पिछले एक साल या उससे पहले से,  हमने पारम्परिक आंतरिक दहन इंजन आधारित ऑटो निर्माताओं,ऑटो पत्रिकाओं वेबसाइट्स एवं इलेक्ट्रिक वाहनों पर ढ़ेर सारी ख़बरें बनाने वाले विश्लेषकों का अवलोकन किया।
इनमे से कई पारम्परिक वाहन निर्माता सिर्फ़ संकल्पना या उत्पाद के परीक्षण की बात करते है ,इनमे से किसी के पास भी भारतीय बाज़ार के लिए सस्ती इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की कोई कार्य योजना या द्रढ़ प्रतिबद्धता नहीं है।
ये प्रोपोगैंडा न्यूज़ के टुकड़े अपने ब्राण्ड के लिए पी आर का निर्माण करने के लिए होते हैं, जो इन आंतरिक दहन इंजन  केंद्रित ऑटो पत्रिकाओं एवं वेबसाइट्स को ऊपर उठाते हैं और बदले में ये इन कम्पनियों के लिए विचार एवं इस प्रकार ये धन उत्पन्न करते हैं।
२०१७ में वापस चलते हैं, ये आंतरिक दहन इंजन निर्माता, इनमे से कई बड़े ब्राण्ड जो प्रत्येक माह लाखों आंतरिक दहन इंजन वाहनों की बिक्री करते हैं,इन्होंने प्लग इन इंडिया से जानकारी प्राप्त करने के लिए सम्पर्क किया और यहाँ तक की २०१८ या २०१९ की शुरुआत तक इलेक्ट्रिक वाहनों को उतारने  की योजना बनाई थी। यहाँ तक की वे अपने पूरे भारत के लाखों डीलरों  के यहाँ चार्जिंग केंद्र स्थापित करने की  बात कर रहे थे।
अब २०१९ की शुरुआत है और हम सबको इन आंतरिक दहन इंजन निर्माताओं की ओर से इलेक्ट्रिक वाहन लॉंच करने की कोई प्रतिबद्धता दिखाई नहीं दे रही है। अंततः वे सब अपनी पूर्व स्थिति में आ चुके हैं तथा भारतीय बाज़ार में विकल्पों की पेशक़श में देरी कर रहे है।
इसका कारण क्या है? तत्परता की कमीं क्यों है?
इसका कारण यह है की इनमे से कई कार्पोरेसंस ऐसे है जो प्रतिमाह लाखों आईसीई वाहन विक्रय करते हैं , वे बाज़ार के अगुआ हैं, जो हमारी असहाय आबादी को वही पुराने, प्रदूषण करने वाले, तेल खाने वाले उत्पादों के ढ़ेर अलग -अलग रंगों एवं आकारों में दे रहें हैं। परिणामतः इन कम्पनियों को भारी आमदनी होती है और उनके लिए किसी भी प्रकार के व्यवधान का कोई विकल्प नहीं है।

और इलेक्ट्रिक वाहन इन व्यवसायों के लिए गम्भीर व्यवधान हैं।
यदि आपने पिछले महीने जारी हमारा विड़ियो -चीन में इलेक्ट्रिक वाहन-भारतीय उद्यमी के साथ बातचीत,आपने देखा हो  , जिस व्यक्ति का हमने साक्षात्कार लिया वो चीन से बाहर के है, ने हमें बताया की चीनी आइसीई निर्माता, ईवी को एक अवसर की तरह देखते हैं, जबकि भारतीय निर्माता ईवी को एक ख़तरे के रूप में देखतें हैं।

हम आपको केदार सोमन के ब्लॉग को भी पढ़ने की सलाह देते हैं -भारत की अपनी चिकन और अंडे की समस्या है। लेकिन इसका चार्जिंग अधोसंरचना से कोई लेना-देना नहीं है।
आइसीई वाहन निर्माताओं द्वारा बहाने एवं देरी की रणनीति
इनमे से कई निर्माता कई प्रकार के बहाने प्रस्तुत करते हैं-
वे कहते हैं की यहाँ चार्जिंग का कोई बुनियादी ढाँचा नहीं है, एक बार अधोसंरचना हो जाए तभी हम ईवी लॉंच करेंगे।
लेकिन आप सब इसे समझतें हैं, लगभग सभी इलेक्ट्रिक वाहन, विशेषकर व्यक्तिगत उपयोग वाले, रात में घर पर ही चार्ज किए जाते हैं। अतः प्रत्येक सुबह आपको एक पूरा चार्ज वाहन बहुत अच्छे से उपलब्ध  है। और दो पहिया वाहन चार्जिंग अधोसंरचना की कमी से बिलकुल ग्रस्त नहीं होते क्योंकि आप उनकी बैटरी निकलकर घर में ले जाकर चार्ज कर लेते हैं।
जैसा कि हमने पहले कहा था, ये सभी इन आइसीई आधारित कार्पोरेट्स के लिए केवल बहाने हैं जो ई वी आंदोलन में देरी करना चाहते हैं।
इन निर्माताओं द्वारा दिया गया एक और बहाना यह है की -“सरकार ईवी के लिए कुछ नहीं कर रही है, अतः देखतें है सरकार कब गम्भीर होती है।”
इस प्रकार के बयान पूरी तरह असत्य हैं, ईवी को गति प्रदान करने के लिए पिछले ५ वर्षों में सरकार ने क्या नहीं किया है। हमारी सरकार ने ‘इलेक्ट्रिक ‘ गति को आगे बढ़ाने के लिए लक्ष्य तय किए हैं, सब्सिडी दे रही है, चार्जिंग मानको,  नीतियों का  निर्धारण कर रही है, अवधारणा परियोजनाओं के प्रमाण बना रही है, मीडिया को दैनिक आधार पर ई वी पर रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
उन्हें और उनसे क्या चाहिए?
इस विषय को लेकर सरकार में सुधार की गुंजाइश है परंतु यह कहना की सरकार ने कुछ नहीं किया है दर्शाता है की हम यहाँ क्यों है? इसकी पूर्ण अवहेलना है।
२०१३ में वापस चलें जब प्लग इन इंडिया शुरू हुआ, कोई भी ईवी के बारे में बात नहीं कर रहा था। ईवी उद्योग में निवेश को तो भूल ही जाइए। हम मुख्यतः यहाँ सरकार के फ़ोकस और उन ईवी स्टार्ट अप और कम्पनियों के कारण हैं जिन्होने ईवी पर निवेश किया।
कुछ आईसीई निर्माता सीईओ कहते हैं की -“ऐसे वाहनों की कोई माँग नहीं है और एक बार माँग दिख जाए हम इन्हें लॉंच कर देंगे।’
अच्छा, पर यदि आप एक भी मॉडल लॉंच ही नहीं करते हैं , तो आप यह कैसे जानते हैं कि कोई माँग ही नहीं है?

पुनः ये सभी बहाने मुख्यतः देरी करने की रणनीति है। यहाँ तक की इनमे से कई आइसीई निर्माताओं ने २०१७ में ही क्रियाशील  मॉडल तैयार कर लिए थे। भारतीय बाज़ार के लिये इलेक्ट्रिक वाहन तैयार करना- टीवीएस, बजाज, हीरो मोटर कॉर्प, मारुति या टाटा जैसी विशाल संसाधनों वाले दिग्गजों के लिए कोई रॉकेट विज्ञान नहीं है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अब आप जानते हैं, क्यों?
कार्पोरेट निंद्य आचरण
इन कार्पोरेट का एक और काम ईवी स्टार्टप या ईवी केंद्रित कम्पनियों में हिस्सेदारी ख़रीदना है। एक बार बहुतायत हिस्सेदारी हासिल करने के बाद ये उनके ईवी उत्पादों को दबा देते है और अपने आइसीई उत्पादों को बढ़ावा देते हैं जिनका समग्र उद्देश्य ईवी का गला घोटना है।
हम पहले भी ऐसा देख चुके हैं जब महिंद्रा इलेक्ट्रिक ने रेवा इलेक्ट्रिक का अधिग्रहण किया था।
हीरो मोटरकॉर्प की एथर एनर्जी में हिस्सेदारी है और ऐसा लग रहा है कि 2019 में एथर केवल 1 शहर में ही अपने इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचेगी। और अब आप आँकड़ो पर जाओ।
फिर हमारे पास ग्रीव्स कॉटन है, जो अब एम्पीयर व्हीकल्स में सबसे बड़ी हिस्सेदार है।
अब ग्रीव्स एक ऐसी कंपनी है जो निम्नलिखित की निर्माता हैं - डीजल, पेट्रोल, मिट्टी के तेल के इंजन, डीजल पंप सेट और जेनसेट। अब यहां भी कुछ गड़बड़ है।
किसी भी प्रकार की प्रतिस्पर्धा या व्यवधान को दबाने के लिए इस तरह की दुष्ट प्रवृत्ति कॉरपोरेट जगत में आम है और हम इसे ईवी उद्योग को प्रभावित करते हुए देख रहे हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि सभी निवेश खराब हैं। लेकिन हमें लगता है, इन ईवी कंपनियों में से कई को निवेश स्वीकार करने से पहले वास्तव में सोचने की जरूरत है।

जरा सोचिए कि रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी अब तक कहां होती, अगर वे महिंद्रा के बजाय दूसरे स्रोतों से निवेश स्वीकार कर लेते।
ईवी से सम्बंधित अब कौन से ब्रांड हैं?
महिंद्रा इलेक्ट्रिक के बारे में बात करते हुए, हमें ऐसा महसूस होता है कि उनके पोर्टफोलियो में ईवी केवल श्री आनंद महिंद्रा के विजन के कारण ही है।
श्री चेतन मैनी और श्री प्रताप जयम की पसंद और रेवा इलेक्ट्रिक कार में टीम द्वारा अद्भुत काम करने के बजाय, महिंद्रा इलेक्ट्रिक के वरिष्ठ प्रबंधन ने श्री मैनी के दृष्टिकोण, प्रौद्योगिकियों और लोगों को पूरी तरह से बाहर कर दिया है, जिन्होंने रेवा इलेक्ट्रिक कार कंपनी का निर्माण किया है।
महिंद्रा इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ी हुई लगती हैं, उनकी इलेक्ट्रिक कारें सॉफ्टवेयर अपडेट और अन्य ईवी विशिष्ट तकनीकी विशेषताओं के साथ एक सच्चे ईवी अनुभव की पेशकश नहीं करती हैं, उनकी इलेक्ट्रिक कारों को बेचने के लिए कोई बड़ा विपणन प्रयास नहीं है।
यह सब ईवी की बिक्री को कम बनाए रखने के लिए किया गया है और उनका ध्यान अपनी तेल पीने वाली एक्सयूवी, टीयूवी और केयूवी को बेचने पर केंद्रित है।
महिंद्रा इलेक्ट्रिक की इलेक्ट्रिक कार विज़न की कमी पुनः से एक विशिष्ट आईसीई निर्माता होने का परिणाम है। जहां उनका पूरा ध्यान आइसीई वाहन बेचने पर है।
टाटा मोटर्स अपनी टाटा टिगोर इलेक्ट्रिक कार और टियागो इलेक्ट्रिक कार २०२० पर्यन्त लॉन्च करने में देरी कर रही है। भले ही ये कारें कई साल पहले तैयार थीं। जब हम उनसे पूछते हैं, तो टाटा मोटर्स में कोई भी हमें यह नहीं बताता है कि इन्हें उतारने के बारे में क्या चल रहा है?
बहुराष्ट्रीय ह्युंडई और निसान जैसी कंपनियां 2019 में इलेक्ट्रिक कार लॉन्च कर सकती हैं, लेकिन फिर से उन्होंने चुप्पी साध ली है और वे हमें नहीं बताएँगे की कब? वे फिर से इसे 2020 और उससे आगे बढ़ा सकते हैं।
मारुति, टीवीएस, हीरो मोटर्स, बजाज की पसंद  के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है।
टू व्हीलर स्पेस में, हमारे पास एथर एनर्जी या टॉर्क मोटरसाइकल जैसे इलेक्ट्रिक स्कूटर और इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल लॉन्च करने वाले युवा स्टार्टअप हैं, लेकिन ऑटो इंडस्ट्री में अपने अनुभव की कमी के कारण, वे बड़े बदलाव करने की तुलना में कम संख्या में बिक्री करके खुश हैं।
अन्य इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनियां जैसे ओकिनावा, एनडीएस इलेक्ट्रिक स्कूटर, एम्पीयर, हीरो, नवजात  ईवी बाजार पर कब्जा करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

लेकिन वास्तविकता यह है कि जब तक सभी प्रमुख ब्रांड कई इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल लॉन्च नहीं करते हैं, तब तक हम भारतीय सार्वजनिक रूप से आँख बंद करके तेल पीने वाली एसयूवी, ऑटोमैटिक पेट्रोल हैचबैक, पेट्रोल स्कूटर और मोटरसाइकिल खरीदते रहेंगे। ये सभी वाहन हमारे देश के लिए लाभ कम और ज्यादा नुकसान करते हैं।
2023 में यह परिदृश्य कैसे बदलेगा?
क्या यह परिदृश्य 2023 तक 3 साल के समय में बदल जाएगा?
दुख की बात है कि हमें लगता है कि यह केवल खराब होने वाला है। आने वाले वर्षों में, हम उम्मीद करते हैं कि ये बड़े आईसीई निर्माता बिना किसी बड़े विपणन प्रयासों के कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई कीमतों के साथ एक टोकन ईवी मॉडल लॉन्च कर सकते हैं ताकि यथास्थिति बनी रहे।
हम प्लग इन इंडिया में मामलों की स्थिति पर बेहद निराश हैं।
लेकिन यह पूंजीवाद है, और इस प्रणाली में, सत्ता कार्पोरेट्स  के पास है, जहाँ लाभ और पैसा वायु गुणवत्ता, ध्वनि प्रदूषण और गैर नवीकरणीय ईंधन की खपत से अधिक महत्वपूर्ण है।
तो, आप कैसे बदलाव कर सकते हैं?
शुरुआत के लिए, आपको इन बड़े आइसीई केंद्रित कार्पोरेट्स को अपना पैसा देना बंद कर देना चाहिए और आंतरिक दहन इंजन आधारित वाहन खरीदना बंद कर देना चाहिए।
इन निगमों से कठिन प्रश्न पूछें
  • इलेक्ट्रिक वाहन उनके पोर्टफोलियो में क्यों नहीं हैं?
  • भारत में ईवी के निर्माण में निवेश क्यों नहीं किया जा रहा है?
उन्हें लिखिए। उनसे मिलिए।
यदि आपके संपर्क हैं, तो अपने स्थानीय राजनीतिज्ञ जो परवाह करते हैं उनसे बात करें।
उन्हें उन नीतिगत परिवर्तनों को सक्षम करने के लिए कहें जो इन आइसीई निर्माताओं को जनता के लिए कई ईवी विकल्प पेश करना अनिवार्य करते हैं।
टीवीएस जुपिटर या होंडा एक्टिवा या सुजुकी एक्सेस या मारुति सेलेरियो या टाटा जेस्ट खरीदने से बचें।
इसके बजाय, एक हीरो फोटॉन, एन डी एस लीयो , ओकिनावा प्रेस या महिंद्रा ई२ओ  प्लस या महिंद्रा ई-वेरिटो पर विचार करें?
ईवी का उपयोग करके पेट्रोल पंप पर जाने से अपनी स्वतंत्रता का आनंद लें।
कंपनियां और स्टार्टअप, जो आज ईवी की पेशकश कर रहे हैं उनका समर्थन करें।
वे बदलाव लाने में इतने बड़े जोखिम उठा रहे हैं और इससे सच्चा व्यवधान पैदा हो रहा है।


उनसे मिलें और उन्हें बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करें।

क्या आप हमारे शहरों में कम शोर चाहते हैं?
क्या आप हमारी सड़कों पर ताजी हवा चाहते हैं?
क्या आप चाहते हैं कि भारत अपने  तेल आयात को कम करके समृद्ध हो?

आप परिवर्तन कर सकते हैं। आज।
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