By Prof Nagendra Singh Tiwari
इस महीने फ़ेम २ की मुख्य विशेषताएँ घोषित की गईं। फ़ेम २ की सामान्य दिशा दुपहिया वाहनो, सार्वजनिक परिवहन एवं बेड़े के माँग एवं प्रोत्साहन के हिसाब से सकारात्मक है।
ई वी समुदाय इस बात से भौचक्का है की निजी इलेक्ट्रिक कारों को इस योजना से बाहर रखा गया है, ऐसे और भी बैटरी निर्माण से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जिनके उत्तर दिए जाने की आवश्यकता है यहाँ तक की जिनके उत्तर पूर्व में दिए गए है उनके भी।
प्लग इन इंडिया चिंतन के इस एपिसोड में, हम फ़ेम २ योजना एवं भारत में स्थानीय बैटरी पैक, घटकों और सेल निर्माण
की बात करेंगे
ई वी समुदाय इस बात से भौचक्का है की निजी इलेक्ट्रिक कारों को इस योजना से बाहर रखा गया है, ऐसे और भी बैटरी निर्माण से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जिनके उत्तर दिए जाने की आवश्यकता है यहाँ तक की जिनके उत्तर पूर्व में दिए गए है उनके भी।
प्लग इन इंडिया चिंतन के इस एपिसोड में, हम फ़ेम २ योजना एवं भारत में स्थानीय बैटरी पैक, घटकों और सेल निर्माण
की बात करेंगे
पृष्ठभूमि
इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी के विनिर्माण को बढ़ावा देने और उसी के सतत् विकाश को सुनिश्चित करने के लिए, भारी उद्योग विभाग ने १ अप्रैल २०१५ से फ़ेम-इंडिया स्कीम फ़ेज़-I [भारत में इलेक्ट्रिक वाहनो को तेज़ी से अपनाने और विनिर्माण] को लागू किया था।यह योजना प्रारंभ में ३१ अप्रैल २०१७ तक के लिए थी जिसे ३१ मार्च २०१९ तक के लिए बढ़ाया गया था।
फ़ेम इंडिया योजना के द्वितीय चरण को जिसे फ़ेम २ कहा जाता है, मार्च २०१९ के पहले सप्ताह में घोषित की गई थी जिसमें सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहनो के उपयोग को बढ़ाना तथा बाज़ार तैयार कर एवं माँग बढ़ाकर इलेक्ट्रिक वाहनो को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना प्रस्तावित है।
फ़ेम १ के लिए कुल परिव्यय ७९५ से ८९५ करोड़ के आस-पास था एवं फ़ेम २ के लिए तीन वर्षों में २०१९-२० से २०२१-२०२२ तक कुल फ़ंड १०,००० करोड़ रुपए है जो १० लाख इलेक्ट्रिक दुपहिया, ५ लाख तिपाहिया, ५५,००० वाणिज्यिक/इलेक्ट्रिक कारों के बेड़े और ७००० इलेक्ट्रिक बसों को सहारा देने वाला है।
इलेक्ट्रिक वाहन प्रौद्योगिकी के विनिर्माण को बढ़ावा देने और उसी के सतत् विकाश को सुनिश्चित करने के लिए, भारी उद्योग विभाग ने १ अप्रैल २०१५ से फ़ेम-इंडिया स्कीम फ़ेज़-I [भारत में इलेक्ट्रिक वाहनो को तेज़ी से अपनाने और विनिर्माण] को लागू किया था।यह योजना प्रारंभ में ३१ अप्रैल २०१७ तक के लिए थी जिसे ३१ मार्च २०१९ तक के लिए बढ़ाया गया था।
फ़ेम इंडिया योजना के द्वितीय चरण को जिसे फ़ेम २ कहा जाता है, मार्च २०१९ के पहले सप्ताह में घोषित की गई थी जिसमें सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहनो के उपयोग को बढ़ाना तथा बाज़ार तैयार कर एवं माँग बढ़ाकर इलेक्ट्रिक वाहनो को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना प्रस्तावित है।
फ़ेम १ के लिए कुल परिव्यय ७९५ से ८९५ करोड़ के आस-पास था एवं फ़ेम २ के लिए तीन वर्षों में २०१९-२० से २०२१-२०२२ तक कुल फ़ंड १०,००० करोड़ रुपए है जो १० लाख इलेक्ट्रिक दुपहिया, ५ लाख तिपाहिया, ५५,००० वाणिज्यिक/इलेक्ट्रिक कारों के बेड़े और ७००० इलेक्ट्रिक बसों को सहारा देने वाला है।
फ़ेम २ की प्रमुख विशेषताएँ
- प्रोत्साहन प्रदान कर ईवी की माँग को बढ़ाना,
- चार्जिंग अधोसंरचना का विकाश करना,
- सार्वजनिक परिवहन विशेषकर इलेक्ट्रिक बसों पर विशेष ज़ोर दिया गया है,
- तिपाहिया,चार पहिया वाहनो में प्रोत्साहन केवल वाणिज्यिक प्रयोजन पर ही लागू होंगे,
- दुपहिया खंड में केवल निजी वाहनो पर ध्यान दिया गया है,
- अगले तीन वर्षों में महानगरों में २७०० चार्जिंग केंद्रों की स्थापना
- प्रमुख राजमर्गों में चार्जिंग केंद्रों की स्थापना
निजी स्वामित्व वाली इलेक्ट्रिक कारों के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं
यहाँ सबसे बड़ी बात यह है की निजी इलेक्ट्रिक कार ख़रीदने वाले व्यक्तियों के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है। लोग यह सवाल लगभग रोज़ हमसे पूछतें हैं। हमारा मत है की इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ता। हमने कई वर्षों से देखा है कि आंतरिक दहन इंजन आधारित निर्माता इलेक्ट्रिक कारों की क़ीमत बढ़ा रहें हैं।
इसका परिणाम यह हुआ है की ये कम मात्रा में बिकी हैं ,क्योंकि इलेक्ट्रिक कारों की माँग कम है।
फ़ेम २ लागू होने के बाद भी आइसीई निर्माता इसी रीति में अपना काम जारी रखेंगे।
हमारी एकमात्र चिंता यह है की ये उन ईमानदार इलेक्ट्रिक कार स्टार्टअप्स के आत्मविश्वास को कम कर सकतें है जो सस्ती इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करना चाहतें हैं ।
हमने एक इलेक्ट्रिक कार स्टार्टअप कम्पनी के सीईओ से बात की उन्होंने नाम ना ज़ाहिर करने की इच्छा के साथ निम्न बातें कही -
“जहाँ तक सीईओ के रूप में फ़ेम २ पर मेरे विचार हैं, वर्तमान में हम थोड़ी अनिश्चितता की स्थिति में हैं क्योंकि दुपहिया वाहनो के निजी मालिकों को सब्सिडी देने व चार पहिया वाहनो को सब्सिडी ना देने के नियम बहुत स्पष्ट हैं। हमारा समग्र व्यापक द्रष्टिकोंण सदैव यह रहा है की हम किसी भी उत्पाद की डिज़ाइन सब्सिडी को ध्यान में रखकर नहीं करना चाहते हैं। हम इस अंतराल को नज़दीकी से देख रहें है और सूचना की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मेरा व्यक्तिगत विचार यह है की ; फ़ेम २ का इरादा अच्छा है और यह देखते हुए की भारत, चीन नहीं हो सकता जो पूरी ईवी इंडस्ट्री को सब्सिडी दे , क़दम स्पष्ट लक्ष्यों के साथ सही दिशा में है ताकि तेल आयात में जितना सम्भव हो कटौती की जा सके।
क्या भारत बेहतर कर सकता है? हम कर सकते थे, लेकिन भारत के पास १०० अन्य समस्याएँ है, जिनसे भी निपटना है। भारत पैसा फेकने की बजाय बदलाव लाने के लिए अपने ड्रीमर्स व इन्नोवेटर्स की संख्या बढ़ा रहा है। ईवी समुदाय के रूप में हमें पूरे दिल से, नए विचारों व समाधानों का समर्थन करना चाहिए जो अधिक से अधिक लोंगो को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें।"
यहाँ सबसे बड़ी बात यह है की निजी इलेक्ट्रिक कार ख़रीदने वाले व्यक्तियों के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है। लोग यह सवाल लगभग रोज़ हमसे पूछतें हैं। हमारा मत है की इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ता। हमने कई वर्षों से देखा है कि आंतरिक दहन इंजन आधारित निर्माता इलेक्ट्रिक कारों की क़ीमत बढ़ा रहें हैं।
इसका परिणाम यह हुआ है की ये कम मात्रा में बिकी हैं ,क्योंकि इलेक्ट्रिक कारों की माँग कम है।
फ़ेम २ लागू होने के बाद भी आइसीई निर्माता इसी रीति में अपना काम जारी रखेंगे।
हमारी एकमात्र चिंता यह है की ये उन ईमानदार इलेक्ट्रिक कार स्टार्टअप्स के आत्मविश्वास को कम कर सकतें है जो सस्ती इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करना चाहतें हैं ।
हमने एक इलेक्ट्रिक कार स्टार्टअप कम्पनी के सीईओ से बात की उन्होंने नाम ना ज़ाहिर करने की इच्छा के साथ निम्न बातें कही -
“जहाँ तक सीईओ के रूप में फ़ेम २ पर मेरे विचार हैं, वर्तमान में हम थोड़ी अनिश्चितता की स्थिति में हैं क्योंकि दुपहिया वाहनो के निजी मालिकों को सब्सिडी देने व चार पहिया वाहनो को सब्सिडी ना देने के नियम बहुत स्पष्ट हैं। हमारा समग्र व्यापक द्रष्टिकोंण सदैव यह रहा है की हम किसी भी उत्पाद की डिज़ाइन सब्सिडी को ध्यान में रखकर नहीं करना चाहते हैं। हम इस अंतराल को नज़दीकी से देख रहें है और सूचना की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
मेरा व्यक्तिगत विचार यह है की ; फ़ेम २ का इरादा अच्छा है और यह देखते हुए की भारत, चीन नहीं हो सकता जो पूरी ईवी इंडस्ट्री को सब्सिडी दे , क़दम स्पष्ट लक्ष्यों के साथ सही दिशा में है ताकि तेल आयात में जितना सम्भव हो कटौती की जा सके।
क्या भारत बेहतर कर सकता है? हम कर सकते थे, लेकिन भारत के पास १०० अन्य समस्याएँ है, जिनसे भी निपटना है। भारत पैसा फेकने की बजाय बदलाव लाने के लिए अपने ड्रीमर्स व इन्नोवेटर्स की संख्या बढ़ा रहा है। ईवी समुदाय के रूप में हमें पूरे दिल से, नए विचारों व समाधानों का समर्थन करना चाहिए जो अधिक से अधिक लोंगो को इसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें।"
लक्ष्य तय कर दीर्घावधि में ई वी उद्योग को आत्मनिर्भर बनाना होगा
फ़ेम २ योजना पर अभी भी काम किया जा रहा है और उन्हें अप्रैल २०१९ तक इसके तैयार होने की उम्मीद है, हमारे पास अभी भी ऐसे प्रश्न हैं जो अभी अनुत्तरित हैं।
माँग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन शानदार है, लेकिन हमें लगता है निम्नलिखित के सम्बंध में स्पष्ट नीति होनी चाहिए-
फ़ेम २ योजना पर अभी भी काम किया जा रहा है और उन्हें अप्रैल २०१९ तक इसके तैयार होने की उम्मीद है, हमारे पास अभी भी ऐसे प्रश्न हैं जो अभी अनुत्तरित हैं।
माँग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन शानदार है, लेकिन हमें लगता है निम्नलिखित के सम्बंध में स्पष्ट नीति होनी चाहिए-
- प्रोत्साहन वितरण किस प्रकार होगा इसका स्पष्ट उल्लेख होंना चाहिए।वर्तमान में ईवी की अंकित क़ीमत को कम रखने के लिए निर्माता को कोई प्रोत्साहन नहीं है। हमने पाया है कि कई निर्माता सब्सिडी के बावजूद अपने लाभ को बढ़ाने लिए ई वी की क़ीमत को क्रत्रिम रूप से बढ़ाते हैं।
- क्या होगा, यदि योजना २०२३ में समाप्त हो जाती है तथा नवीनीकृत नहीं होती है।किन कारणो से योजना को खींचा गया है?क्या इससे ईवी उद्योग पर असर पड़ेगा।
- भारत में लिथीयम सेल बनाने के लिए किस प्रकार के प्रोत्साहन आपूर्ति पक्ष को प्रदान किया जा रहें हैं।मान लें की ईवी उद्योग २०२३ तक १०लाख दुपहिया वाहन बेचता है, जिसमें प्रत्येक की औसत बैटरी क्षमता २ kwh है। इसका मतलब है लगभग २० लाख kwh मूल्य के बैटरी पैक को केवल दुपहिया वाहनो के लिए आयात करना होगा। यदि भारत में २०२३ तक एक भी kwh नहीं बनाया जाता है, तो यह २०२३ में इस उद्योग को कैसे प्रभावित करेगा?
- ऐसी कई कम्पनियाँ हैं जो चीन से सेलों को आयात कर बैटरी पैक का निर्माण करती हैं, लेकिन यदि सेलों का निर्माण भारत में नहीं हुआ तो स्थिति वही होगी जैसी २०१२ में हुई थी।
हमें अतीत से सीखना होगा
२०१० में यूपीए सरकार ने एमएनआरआई योजना की शुरुआत की जिसने ईवी उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन की पेशकश की।नीति की शुरुआत में, ईवी उद्योग ने अपनी बिक्री में २०० प्रतिशत की वृद्धि देखी। लेकिन ३१ मार्च २०१२ को, एमएनआरआई योजना को वापस ले लिया गया, जिसके परिणाम स्वरूप ईवी की बिक्री में ७० प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। निर्माताओं को डीलरशिप बंद करनी पड़ी, ३ महीने के भीतर लगभग २५० डीलरों में अपने संचालन को बंद कर दिया।
इस भयावह परिद्रश्य को कभी भी नहीं होने देना चाहिए। २०२३ तक, उद्योगों को बिना सरकारी योजनाओं के समर्थन के ही सफल होना चाहिए।
सरकार को ऐसा लगता है की नेशनल मिशन ऑन ट्रान्सफ़ार्मेटिव मोबिलिटी एंड स्टॉरेज बनाकर उन्होंने क्लीन ड्राइव, सम्पर्कित्त, साझा, टिकाऊ एवं समग्र गतिशीलता की पहल को प्रोत्साहित कर, बैटरी निर्माण के उस महत्वपूर्ण प्रश्न का भी उत्तर दिया गया है।
यह योजना निम्नलिखित को प्रोत्साहित करती है-
२०१० में यूपीए सरकार ने एमएनआरआई योजना की शुरुआत की जिसने ईवी उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन की पेशकश की।नीति की शुरुआत में, ईवी उद्योग ने अपनी बिक्री में २०० प्रतिशत की वृद्धि देखी। लेकिन ३१ मार्च २०१२ को, एमएनआरआई योजना को वापस ले लिया गया, जिसके परिणाम स्वरूप ईवी की बिक्री में ७० प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। निर्माताओं को डीलरशिप बंद करनी पड़ी, ३ महीने के भीतर लगभग २५० डीलरों में अपने संचालन को बंद कर दिया।
इस भयावह परिद्रश्य को कभी भी नहीं होने देना चाहिए। २०२३ तक, उद्योगों को बिना सरकारी योजनाओं के समर्थन के ही सफल होना चाहिए।
सरकार को ऐसा लगता है की नेशनल मिशन ऑन ट्रान्सफ़ार्मेटिव मोबिलिटी एंड स्टॉरेज बनाकर उन्होंने क्लीन ड्राइव, सम्पर्कित्त, साझा, टिकाऊ एवं समग्र गतिशीलता की पहल को प्रोत्साहित कर, बैटरी निर्माण के उस महत्वपूर्ण प्रश्न का भी उत्तर दिया गया है।
यह योजना निम्नलिखित को प्रोत्साहित करती है-
- चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) ५ वर्षों ले लिए है , जो २०२४ तक भारत में कुछ बड़े पैमाने पर, निर्यात-प्रतिस्पर्धी एकीकृत बैटरी और सेल निर्माण हेतु गीगा सयंत्रों की स्थापना करने के लिए लाया गया है।
- गीगा स्केल पर बैटरी निर्माण प्रारम्भ करने के लिए एक चरणबद्ध रोड्मैप लागू किया जाएगा जिसमें प्रारम्भिक फ़ोकस २०१९-२० तक बड़े पैमाने में लार्ज स्केल मॉड्यूल एवं पैक असेम्ब्ली प्लांटों का निर्माण किया जाएगा, इसके बाद २०२१-२०२२ तक एकीकृत सेल का निर्माण होगा।
- स्थानीयकरण के प्रत्येक चरण को मिशन द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन घटकों के साथ-साथ बैटरी की लिए स्पष्ट मेक इन इंडिया रणनीति के साथ अंतिम रूप दिया जाएगा।
- नेशनल मिशन ऑन ट्रान्सफ़ार्मेटिव मोबिलिटी एंड स्टॉरेज के बारे में और पढ़ें।विवरण नीचे लिंक में है।
अन्य द्रष्टिकोंण प्रोफ़ेसर अशोक झुनझुनवाला (IIT MADRAS, INDIA)
फ़ेम २ सही दिशा में एक क़दम है। लेकिन इसमें कमियाँ हैं। आपने कुछ की ओर इशारा किया है। इसमें मैं भी कुछ जोड़ूँगा :
फ़ेम २ सही दिशा में एक क़दम है। लेकिन इसमें कमियाँ हैं। आपने कुछ की ओर इशारा किया है। इसमें मैं भी कुछ जोड़ूँगा :
- बैटरी के आकार के आधार पर प्रोत्साहन ग़लत है इसका मतलब है की एक अधिक कुशल वाहन जो छोटी बैटरी का इस्तेमाल करता है उसे कम प्रोत्साहन मिलेगा।
- यह भी स्पष्ट नहीं है की जब स्वापिंग बैटरी, जिसको अधिकांश लोग महत्वपूर्ण क़दम मानते है, आ जाएँगी तब क्या होगा।
- चार्जिंग स्टेशन सब्सिडी : चार्जिंग स्टेशन के व्यावसायिक मामले को परिभाषित करने का कोई प्रयास नहीं है।सब्सिडी, अंतर को पाटने के लिए है।अंतर क्या है? किस तरह के चार्जर्स के लिए है? क्या हम ऐसी जगह चार्जर्स स्थापित करेंगे जहाँ उनके उपयोग के लिए कोई वाहन ही नहीं हैं?
प्रस्तावित सब्सिडी बैटरी की क्षमता पर आधारित होगी और यह १०,००० रुपए प्रति kwh है।
एक तरफ़, बैटरी पैक के आधार पर प्रोत्साहन एक अच्छा विचार है। उदाहरण के लिए, यह दुपहिया वाहन निर्माताओं को प्रोत्साहित करेगा, रेंज बढ़ाने के लिए बड़े बैटरी पैक जुड़ेंगे , अतः ICE स्कूटरों के प्रदर्शन व उनकी रेंज स्तर का मिलान होगा।
लेकिन उसी समय फ़ेम १ के तहत १.४ kwh लिथीयम बैटरी के साथ एक ICE स्कूटर ने लगभग २२,००० रुपए की सब्सिडी प्राप्त की और अब केवल १४,००० रुपए मिलेगा।
प्रोफ़ेसर झुनझुनवाला ने भी बताया तथा जैसा कि भारतीय और वैश्विक इलेक्ट्रिक कारों के तुलनात्मक चार्ट में भी दिखाया गया है, छोटी इलेक्ट्रिक कारें जो बेहतरीन क्षमता वाली है उन्हें कम समर्थन है!
- अतः ११ kwh के साथ महिंद्रा e2o को १,१०,००० रुपए की सब्सिडी,
- हुंडई कोना को २५ kwh बैटरी पैक के साथ २,५०,००० रुपए की सब्सिडी और,
- ओकिनावा आइप्रेस इलेक्ट्रिक स्कूटर पर २९,००० रुपए की सब्सिडी मिलेगी।
एक तरफ़, बैटरी पैक के आधार पर प्रोत्साहन एक अच्छा विचार है। उदाहरण के लिए, यह दुपहिया वाहन निर्माताओं को प्रोत्साहित करेगा, रेंज बढ़ाने के लिए बड़े बैटरी पैक जुड़ेंगे , अतः ICE स्कूटरों के प्रदर्शन व उनकी रेंज स्तर का मिलान होगा।
लेकिन उसी समय फ़ेम १ के तहत १.४ kwh लिथीयम बैटरी के साथ एक ICE स्कूटर ने लगभग २२,००० रुपए की सब्सिडी प्राप्त की और अब केवल १४,००० रुपए मिलेगा।
प्रोफ़ेसर झुनझुनवाला ने भी बताया तथा जैसा कि भारतीय और वैश्विक इलेक्ट्रिक कारों के तुलनात्मक चार्ट में भी दिखाया गया है, छोटी इलेक्ट्रिक कारें जो बेहतरीन क्षमता वाली है उन्हें कम समर्थन है!
अंतिम शब्द
ईवी उद्योग को बहुत जल्द आत्मनिर्भर होने की ज़रूरत है । प्रोत्साहन की वापसी का ईवी उद्योग पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए जैसा कि २०१२ में हुआ था।फ़ोकस लिथीयम सेलों के निर्माण पर होना चाहिए और लम्बे समय तक ईवी की माँग को स्थिर बनाए रखना चाहिए।
हम सरकार को फ़ेम २ और नेशनल मिशन ऑन ट्रान्सफ़ॉर्मटिव मोबिलिटी एंड स्टॉरेज लॉन्च करने की बधाई देते हैं। यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता दर्शाता है और यह उन लोगों के सिद्धांतों का खंडन करता है जो कहते है की सरकार ईवी के लिए कुछ नहीं कर रही है।
हमें उम्मीद है कि एक बार जब हम फ़ेम २ स्कीम की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर लेंगे तब हम इस एपिसोड का दूसरा भाग भी कर सकते हैं।
अंत में हम मि० रंजीत ए आर आर्य, सीईओ ARTEM को उनके विचार साझा करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करतें हैं।
हमारे साथ बने रहें!
ईवी उद्योग को बहुत जल्द आत्मनिर्भर होने की ज़रूरत है । प्रोत्साहन की वापसी का ईवी उद्योग पर प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए जैसा कि २०१२ में हुआ था।फ़ोकस लिथीयम सेलों के निर्माण पर होना चाहिए और लम्बे समय तक ईवी की माँग को स्थिर बनाए रखना चाहिए।
हम सरकार को फ़ेम २ और नेशनल मिशन ऑन ट्रान्सफ़ॉर्मटिव मोबिलिटी एंड स्टॉरेज लॉन्च करने की बधाई देते हैं। यह इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रति मज़बूत प्रतिबद्धता दर्शाता है और यह उन लोगों के सिद्धांतों का खंडन करता है जो कहते है की सरकार ईवी के लिए कुछ नहीं कर रही है।
हमें उम्मीद है कि एक बार जब हम फ़ेम २ स्कीम की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर लेंगे तब हम इस एपिसोड का दूसरा भाग भी कर सकते हैं।
अंत में हम मि० रंजीत ए आर आर्य, सीईओ ARTEM को उनके विचार साझा करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करतें हैं।
हमारे साथ बने रहें!